यह शिला जो आप देख रहे हैं, गिरिराज जी की पवित्र शिला है।
राधा कुंड के इस मंदिर को गिरिराज जी की जीवहा (जीब, tongue)मानते हैं।
इसके पीछे एक वार्ता है:
‘श्री रघुनाथ दास स्वामी को एक कुआँ खोदना था, तो उन्होंने काम चालू करवाया। मजदूर जब खुदाई कर रहे थे, उनका औजार एक शिला पर लगा जिस के कारण उस शिला से ख़ून बहने लगा।
खुदाई तुरंत बंद कर दी गई।
उसी रात स्वप्न में श्री कृष्ण ने श्री रघुनाथ स्वामी को बताया, “मैं गोवर्धन से अलग नहीं हूँ, यह शिला गिरिराज की जीभ है, उसे निकाल कर मंदिर में बिठाओ और पूजन शुरू करो।
राधा कुंड के जल से सेवा करो”।
नीचे दर्शन इसी प्राचीन मंदिर का है, जो श्री राधा-श्याम कुंड पर स्थित है
गिरिराज जी की हर शिला पवित्र और दिव्य है।
गिरिराज महाराज की जय हो!
श्रीनाथजी ठाकुरजी की जय
श्री राधा कृष्ण की जय
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