मोर और उसके पंख में जरूर कुछ शक्ति है, की यह पक्षी श्री राधा कृष्ण, ठाकुरजी श्रीनाथजी के करीब हमेशा रहता है।
मोर पंख को श्री कृष्ण के मस्तक पर सजा हुआ हम देखते हैं।
कोई भी श्री राधा कृष्ण चित्रकारी में मोर पक्षी जरूर पाया जाता है।
ऐसा मानते हैं की मोर पंख में एक विशेष प्रकार का विद्युत चुंबकीय गुण होता है, जो नकारात्मक उर्जा को दूर रखकर सकारात्मक उर्जा का प्रवाह करता है।
भगवान श्रीकृष्ण के मस्तक पर सजने वाला मोर पंख लक्ष्मीजी को भी प्रिय है।
भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का वाहन मोर है।
प्राचीन ऋषि-मुनि मोर पंख की कलम से साहित्य की रचना करते थे।
मोर पंख से बना पंखा या झाडू कई मंदिरों में देखी जा सकती है।
घर में मोर पंख होना शुभ माना जाता है। कई लोग उनके पूजा स्थान में मोर पंख रखते हैं और जिन घरों में श्री राधा कृष्ण की पूजा होती है वहां तो मोर पंख मिल ही जाएगा।
कई इलाकों में आज भी बच्चों या बड़ों की नजर उतारने के लिए मोर पंख से बनी झाडू को सिर के आसपास क्लॉक वाइज, एंटी क्लॉक वाइज घुमाया जाता है। ग्रामीण भाषा में नजर उतारने की इस प्रक्रिया को झाड़ फूंक जरूर कहा जाता है, लेकिन यह अपने चुंबकीय गुण के कारण संबंधित व्यक्ति की नकारात्मक उर्जा को दूर करने का काम करता है।
जय श्री राधे कृष्ण
जय व्रज धाम
जय व्रज के मोर
जय श्रीनाथजी भगवान
🙏
क्या हमें और प्रशासन को इस प्रिय मोर को बचाने के लिए कोशिश करनी चाहिए?
प्राचीन वन और पेड़ काट कर बिल्डिंग पे बिल्डिंग बन रही हैं 😥
The peacocks are a very intimate part of the Divine Shree RadhaKrishn leela. In some way they might belong to the generations of peacocks whose ancestors would have been a witness to Shree Radha and Shree Krishn leelas on this pavitra bhumi thousands of years ago.
This is also an appeal to all, not to kill these beautiful birds for recreation or meat. They are as close to Shree RadhaKrishn as Their beloved sacred Cows!
Peacocks are by nature very shy and hide away from intruders, I feel fortunate to have been able to catch them in the very natural surroundings. Unfortunately due to unplanned development in pavitra Vraj Mandal and with an increase of the monkey population in the surroundings, these beautiful peacocks have dramatically reduced in number.
Vraj Mandal belongs to Shree RadhaKrishn and ShreeNathji. It was and is Their Leela Bhumi, where everything reminds us of “Their” divine Prem and Bhao.
Jai Shree RadhaKrishn
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