क्या धर्म इंसानियत से उपर है?
Does humanitarian service mean changing the receivers religion and worship?
इंसानियत के नाम पर हिंदू धर्म से परिवर्तन का खुला खेल हमारे सामने होता रहता है, और हम बिना बुद्धि का इस्तेमाल करे, उन समाज सेवकों की वाही वाही में लग जाते हैं.
In the name of showing humanity and service to the poor, we see the naked game of Hindu conversions.
And most of the times we tend to give these so called charity workers a very high platform.
आज हिंदुस्तान में लाखों हिंदू को मदद करने के नाम पर हिंदू धर्म छोड़ कर क्रिस्चीऐनिटी धर्म में परिवर्तित होने के लिए मजबूर करा जा रहा है.
Today in India lakhs of conversions are taking place; the poorest in the Hindu society are being converted to Christianity in the name of humanity service.
गरीब, लाचार और अनपढ़ होने के कारण वे भोजन, कपड़ा और मकान के लालच में अपनी आत्मा को इन सौदागर के हाथ बेच देते हैं.
The poorest, illiterate and helpless sell their souls to these so called humanitarian workers for food, clothes and a roof on their head.
"आप हमारे धर्म में परिवर्तित होंगे तो ही हम आपकी सेवा करेंगे, आपको भोजन और रहने के सुविधा मिलेगी".
"We will help you all one condition and that is to convert your religion; and then we will provide you with the basic life needs"
क्या यह सही सेवा है?
Is this true humanity service?
क्या किसी की गरीबी का इतना अनुचित फायदा लेना सही धर्म है?
क्या इंसानियत सिखाती की हम गरीब और मजबूर का फायदा उठाकर उनका धर्म ही परिवर्तित कर दें?
इंसानियत की सेवा करना हो तो क्या उसका जबरन धर्म बदलना जरूरी है क्या?
Is taking advantage of the poor true religion?
Does true service to humanity mean taking advantage of the poorest and converting the soul to your form of religion and worship?
Does it require to change your religion and worship to get humanitarian benefits?
दुर्भाग्य से ऐसे ही समाज सेवकों को नोबेल प्राइस पुरस्कृत होती है, उन्हें संत के पद्धति से सम्मानित करा जाता है.
Unfortunately it's a fact in our so called educated society that they are given awards and titles of saints etc.
आप समझ ही गए होंगे किस के बारे में जिक्र हो रहा है
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