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‘श्रीनाथजी,’ दिव्य जागृत शक्ति

श्रीनाथजी के रुप में श्रीराधाकृष्ण के मूल स्वरुप का प्रकटीकरण, प्रारंभ में उनकी अलौकिक भुजा के रूप में, १४०९ ईसवी (संवत १४६६) में श्रावण वद त्रितीया, श्रवण नक्षत्र में रविवार को हुआ था।
श्री राधाकृष्ण की मूल शक्तियां जिन ने गोवर्धन लीला प्रगट करी थी, हमें आशीर्वाद देने के लिए लगभग ५२३६ वर्ष के लंबे अंतराल के बाद गिरिराज गोवर्धन से दृष्टिगत हुयीं। यह उनके नए विलयित रूप में दिव्य श्रीनाथजी के स्वरुप में हमारे बीच प्रगट हुईं।

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