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ShreeNathji tells me how He finds peace at Govardhan

  • Writer: Abha Shahra
    Abha Shahra
  • Sep 27, 2020
  • 2 min read

श्रीजी बताते हैं की उन्हें गोवर्धन पर शांति मिलती है

२६.०४.२०१९


श्रीजी अचानक आ जाते हैं (उनकी भाषा में टपक जाते हैं)

“चाय चाय पीती है, या सिर्फ़ चखती है? आभा शाहरा श्यामॉ; मैं तो सिर्फ केसर वाला दूध पीता हूँ। किंतु

गरमी में मुझे इलाइची और चारोलि (चीरोंजी) का दूध देते हैं।”


श्रीजी हमेशा की आदत अनुसार खेल करते हैं। उनकी हर छोटी से छोटी वार्तालाप हँसा देती है।


श्रीजी आगे कहते हैं, ”देखो वही दूध सालों से देते रहते हैं। अब तो मैं बोर हो गया, आज कल ज़्यादा नहीं रहता वहाँ पर” (नाथद्वारा में)। “जैसे की तुम लोगों को तो पता ही है, आजकल गोवर्धन पर ही रहता हूँ।”


मुझे(आभा) कुछ समझ में कम आता है तो श्रीजी से हाथ जोड़ कर पूछती हूँ, “श्रीजी वहाँ तो बहुत गरमी है इस समय, आप कैसे रह पाते हैं?”


श्रीजी जवाब भी देते हैं, “सही कहती है तू; वहाँ गोवर्धन पर बहुत घनी झाड़ी भी हैं ना, तो मैं चुपचाप किसी झाड़ी में छुप कर शांति से बैठ जाता हूँ। ज़्यादा लोग तंग नहीं करते, और वैसे वहाँ का मेरा मंदिर भी बहुत अच्छा है, वहाँ छुप जाता हूँ; बहुत शांति है वहाँ पर”। “नाथद्वारा में मंदिर के भीतर बहुत खटपट होती रहती है, दोपहर में और रात में भी, इसलिए जल्द से दर्शन पूरा करके निकल जाता हूँ। यहाँ गोवर्धन पर देख, मंदिर में खस खस लगा कर रखा है, गुलाब जल छिड़कते रहते हैं इसलिए ठंडक रहती है। और इतनी गरमी में कौन ऊपर चढ़ कर आएगा, तो मैं शांति से मेरे पलंग पर आराम करता हूँ।

“अच्छा आभा शाहरा श्यामॉ, चलता हूँ; बहुत काम है आज, बाय बाय“।

कहते हुए श्रीजी जितने अचानक से आए थे उतनी तेजी से भाग जाते हैं। मैं भी सोच में पड़ गयी, श्रीनाथजी प्रभु को कितना काम करना पड़ता है।


इस अद्भुत दिव्य अनुभूति का अहसास अगली सुबह भी मेरे मन में है, वो कैसे दर्शन थे? या फिर सचमुच श्रीजी इस भक्त के पास आए थे और कुछ आलोकिक आनंद की अनुभूति देकर निकल गए श्री गोवर्धन की झाड़ियों में?


जय हो मेरे श्रीजी ठाकुरजी

आपकी बहुत कृपा 🙏

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1 Comment


Aradhana Sharma
Aradhana Sharma
Jul 27, 2021

💗🍃श्रीजी की जय हो🍃💗


बारम्बार नतमस्तक हूँ ऐसे परम प्यारे मीत व अद्भुत अलौकिक दिव्य बन्धन दुनिया के बंधनो से कोसो दूर । ये जीवन कुर्वान कर बलिहार होने को जी चाहता है उस रिश्ते पे जो आत्मा व परमात्मा के बीच के परदे को हटा उस परब्रह्म को पा चुका है । "प्यारे श्रीजी "आपकी वार्ता हमे इतना आनंद देती है व आभा जी का एक एक लफ्ज़ इतना जीवंत होता है मन पंख लगा आपके श्रीचरणों में घूमता है व कल्पना में हर उस झाड़ी में ढूंढता व नमन करता है जहाँ आप छुप कर बैठे हो । आपका हर वो छोटा बड़ा कार्य जिस से आपको श्रम न करना पड़े व आपको आनंद दे व…

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